This is a transcript of a speech given by our language teacher, Ms. Manisha Patil on January 5th, on the occasion of Savitribai Phule’s birthday. Read on to find out more about Savitribai, an incredibly fierce and visionary thinker who fought for equality of women’s rights to education, especially women belonging to socially marginalised communities. We highly recommend a contemporary novella, Savitribai Phule and I written by Sangeeta Mulay and published by Panther’s Paw Publications, if you would like to know more about what Savitribai faced and how she continues to inspire young women in India. The book is available in the school library.
‘बालिका दिवस’
सावित्रीबाई फुले जयंती दिन (३ जानेवारी १८३१)
माननीय मुख्याध्यापिका, शिक्षक गण और विदयार्थी ओंको शुभ संध्या
नारी को दुनिया में जब से सम्मान दिया है,
नारी ने अपनी ताकद को पहचान लिया है |
अबला से बन गई है सबला देखो,
सच है, नारी ने जग पर बड़ा एहसान किया है |
नारी जाति के लिए मिसाल महान नारी |
सावित्रीबाई ज्योतिबा फुले जिनका जन्म आज ही के दिन ३ जानेवारी १८३१ को हुआ | उनके जन्म दिवस पर “बालिका दिवस” के रूप में मनाया जाता है | मै मनीषा टिचर आपको इस अवसर पर हार्दिक शुभकामनाऍं देती हुँ | भारत की इस प्रथम महिला शिक्षिका, समाज सुधारिका, एक मराठी कवियत्री के जन्म दिन पर मुझे अपने भाव प्रकट करने का अवसर मिला इसके लिए आपका आभार | स्री शिक्षा के उद्देश्य का सपना संजोए सावित्रीबाई फुले ने कहा की शिक्षा ही स्री का गहना है | भारत के वंचित तत्त्व को शिक्षा से वंचित करके हजारो वर्षोंतक गुलाम बनाकर रखा गया | शावित्रीबाई फुले ने शिक्षा को गुलामों से मुक्ति का सबसे बड़ा हथियार बनाया | स्त्री को शिक्षा का अधिकार प्रदान करना, विधवा विवाह का समर्थन करना, ऐसे कार्य उन्होंने उस समय किए जब नारी की बड़ी दुर्दशा थी |
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सौभाग्य से महात्मा ज्योतिबा फुले जिनको महाराष्ट्र और भारत में सामाजिक आंदोलंन में एक सबसे महत्वपूर्ण व्यक्ति के रूप में माना जाता हैं | वे सावित्रीबाई के सरंक्षक गुरु और समर्थक थे | हर बिरादरी और धर्म के लिए काम करते हुए जब सावित्रीबाई कन्याओं को पढ़ाने के लिए निकलती थी तो रास्ते में लोग उनपर गंदगी, कीचड, गोबर तक फेका करते थे | अपने पथ पर चलते रहने की प्रेरणा बहुत अच्छे से देती थी |
दिन ढले बिना सवेरा नहीं होता, दृढ़ संकल्प कभी अधूरा नहीं होता |
सावित्रीबाई फुले ने १८५२ में बालिकाओं के लिए एक विद्यालय की स्थापना की और अपने कर्तव्य पथ पर चलते हुए अनेक विद्यालय खोल दिए | दुनिया में नारी के सामर्थ्य की हकीकत से रूबरू होने का सावित्रीबाई फुले से बड़ा उदाहरण और क्या होगा | ऐसी महानायिका स्रियों ले साथ साथ ही पुरषों के लिए भी बहुत बड़ी प्रेरणा है |
आओ हम आज इस शुभ दिन पर नारी जाती के लिए दिल में सम्मान जगाए | जगत जननी नारी की भावना ओ की कदर करे उनके शुभ संकल्प में उनका साथ दे |
पत्नी, बहन, माँ बेटी के रूप में मिली,
इस नारी पर होते हुए जुल्म को रोंके |
और इनके मानवीय अधिकारों का सम्मान करो |
महानायिका सावित्रीबाई फुले के जीवन चरित्र को अपना आदर्श स्वीकार करते हुँए अपनी इस दो पंक्तियों के साथ अपनी वाणी को विराम देती हूँ |
नारी तुम प्रेम हो,
आस्था हो, विश्वास हो |
टूटी हुई उम्मीदों की,
एक मात्र आस हो |
जय हिंन्द !
मनीषा प्र. पाटील